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Tuesday 16 July 2013

शिक्षा विभाग की नजर अब दागी अफसरों पर

शिक्षा विभाग के निशाने पर अब दागी अफसर हैं। इन दागी अफसरों को फील्ड से हटाकर विभागीय कार्यों में लगाया जाएगा। इसके आधार पर ही शिक्षा विभाग में व्यापक पैमाने पर फेरबदल की तैयारी है। निदेशालय स्तर ने 67 अधिकारियों को इधर-उधर करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था जिसे अनुमोदित करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है। वहां से मंजूरी मिलते ही आदेश जारी कर दिया जाएगा।  प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यह तय किया गया था कि दागी और जांच में फंसे अफसरों को जिलों में तैनाती नहीं दी जाएगी। इसके लिए एक दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ से अधिक अफसरों के स्थानांतरण किए गए, लेकिन सरकार अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाई। दागी और जांच में फंसे अफसर जुगाड़ के बल पर पोस्टिंग पाने में सफल रहे। कुछ अफसर बीएसए नहीं बन पाए तो प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक बन गए। ये अधिकारी आज भी सरकार की किरकिरी कराने से नहीं चूक रहे हैं। इसमें ताजा उदाहरण के प्रतापगढ़ के बीएसए ही हैं। सिलाई मशीन घोटाले में शामिल होने के बाद भी वह इस सरकार में बीएसए बनने में सफल रहे, जिन्हें बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इसके अलावा भी कई ऐसे अफसर हैं जो दागी होते हुए थी जिलों में तैनात हैं। स्थिति यह है कि इन अफसरों के चलते ही शिक्षा विभाग की छवि धूमिल हो रही है। काम कराने के लिए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए शिक्षा विभाग चाहता है कि दागी अफसरों को हटाकर उनके स्थान पर अच्छे अफसरों की तैनाती की जाए। माध्यमिक व बेसिक शिक्षा निदेशालय ने 67 अफसरों को जिलों में बदलने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें 45 जिला विद्यालय निरीक्षक और 22 बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी हैं। निदेशालय ने कुछ ऐसे अधिकारियों के नाम भी शामिल कर लिए हैं जो जिलों में जाना नहीं चाहते हैं। उनका मानना है कि आज के दौर में जिलों में काम करना आसान नहीं है।
तीस बच्चों पर तैनात होंगे अब एक शिक्षक
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम में निर्धारित मानक के अनुसार अब 30 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात किए जाएंगे। मानक के विपरीत शिक्षकों की तैनाती पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने इस संबंध में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के शिक्षकों को साल में एक बार एक-दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाता है। बीएसए इस समायोजन के नाम पर जमकर खेल करते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि वे सड़क के किनारे और शहरी सीमा से सटे या मनचाहे स्कूलों में समायोजन के नाम पर मोटी कमाई करते हैं। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की ओर से जारी आदेश में भी समायोजन में अनियमितता बरते जाने की शिकायतें मिलने की बात कही है। इसमें यह भी कहा गया है कि शहरी क्षेत्र के समीप स्कूलों में अधिक शिक्षक तैनात कर दिए जाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल शिक्षक विहीन हो जाते हैं या फिर एक ही शिक्षक रह जाता है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।


छपरा में हुई घटि‍त घटना से लें सबक, मि‍ड डे मील में न बरते लापरवाही शि‍क्षकगण

आप अवगत हो बिहार के छपरा में जहरीले मिड-डे मील खाने से अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी, जबकि  करीब 40 बच्चे  बीमार हैं,  इस  दुखद घटना के बाद छपरा में बवाल मचा हुआ है। उक्‍त घटना से सबक लेने की आवश्‍यकता है। 
मि‍ड डे मील जैसी संवेदनशील योजना में शि‍क्षकगण लापरवाही कदापि‍ न बरतें। मि‍ड डे मील बनाने से लेकर वि‍तरण करते समय तक सभी शि‍क्षकों का दायि‍त्‍व है, कि‍ उक्‍त योजना में सचेत होकर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है- 

  • मि‍ड डे मील में मसाले का प्रयोग ब्राडेण्‍ड कम्‍पनी का प्रयोग करना चाहि‍ए। 
  • सभी प्रकार के मसाले बन्‍द पैकेट में होना चाहि‍ए।
  • जि‍स स्‍थान पर भोजन का बनाया जा रहा है, सबसे पहले उस कमरे की सफाई अवश्‍य करवायें। 
  • खाद्यान्‍न प्राप्‍त होने के उपरान्‍त उसकी स्‍वच्‍छता/गुणवत्‍ता की चेकिंग अवश्‍य करें।  
  • सब्‍जी काटने के बाद एवं पकाते समय उसको ढक कर रखें। 
  • चावल बनाने से पहले उनको धोकर पकाया जाये। 
  • कि‍चेन में यदि‍ कोई नहीं है, तो तुरन्‍त कमरे को बन्‍द कर दें।
  • खाना बनाते समय या उसके उपरान्‍त पास के वि‍द्यालय प्रबन्‍धन समि‍ति‍ के सदस्‍यों एवं अभि‍भावकों को अवश्‍य बुलालें और उनकी देखरेख में खाना परोसा जाये। 
  • खाना खाने के पहले एवं उपरान्‍त बच्‍चों को हाथ धोने के लि‍ए प्रेरि‍त करें।
  • जि‍तने बच्‍चों ने खाना खाया है, उसका सही-सही ब्‍योरा पंजि‍का पर अंकन करें।
  • मि‍ड डे मील योजना में यदि‍ कोई कठि‍नाई हो या संचालन ठीक प्रकार से न हो रहा हो, तो इस सम्‍बन्‍ध में वि‍द्यालय प्रबन्‍धन समि‍ति‍ की बैठक कर समस्‍या का नि‍स्‍तारण करायें। 
  • समस्‍या यदि‍ गम्‍भीर हो, तो इस सम्‍बन्‍ध में प्रस्‍ताव बनाकर सम्‍बन्‍धि‍त जि‍ला बेसि‍क शि‍क्षा अधि‍कारी को अवगत करायें।

छपरा में जहरीले मिड-डे मील से 20 बच्‍चों की दुखद मौत, शासन प्रशासन में मचा बवाल

बिहार के छपरा में जहरीले मिड-डे मील खाने से अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी, जबकि करीब 40 बच्चे बीमार हैं. इस दुखद घटना के बाद छपरा में बवाल मचा हुआ है. लोग प्रशासन के खिलाफ गुस्‍से का इजहार कर रहे हैं. पूर्व सीएम लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी ने सारण बंद का आह्वान किया है।
गौरतलब है कि छपरा में गंदामान गांव के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को मिड-डे मील के तहत दाल, चावल और सब्ज़ी खाने को मिली थी. भोजन करते ही बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी. जहरीले भोजन ने कई बच्‍चों ने दम तोड़ दिया. कुछ परिजनों के मुताबिक, जिन बच्चों ने सब्जी नहीं खाई, वे ठीक हैं. इस दर्दनाक घटना के बाद बच्चों के घरों में मातम छाया है।
34 बच्‍चों का इलाज पीएमसीएच में
बीमार बच्चों में से 34 का इलाज पटना के पीएमसीएच में चल रहा है. इनमें से 5 बच्‍चों की हालत नाजुक बताई जा रही है।

घटना की उच्‍चस्‍तरीय जांच के आदेश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर अफ़सोस जताते हुए हुए कमिश्नर और पुलिस के IG से जांच के आदेश दिए हैं. मृतक बच्‍चों के परिवार के लिए 2-2 लाख रुपये मुआवजे का एलान किया गया है।

पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में जहरीले भोजन की पुष्टि
जहरीले भोजन का शिकार हुए बच्‍चे पहली से लेकर पांचवी क्लास के हैं. इनमें से सभी बच्‍चे 10 साल से कम उम्र के हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि भोजन जहरीला था. भोजन में पेस्टिसाइड मिले होने का शक जताया गया है।